पब्लिक न्यूज़ आसनसोल :– देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन पर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। लेकिन इस्पात नगरी बर्नपुर के लिए यह नुकसान एक निजी नुकसान की तरह महसूस हो रहा है इसकी वजह यह है कि बर्नपुर में ईसको कारखाने को बचाने में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही उन दोनों को याद करते हुए श्रमिक नेता हरजीत सिंह ने कहा कि उस समय ईसको कारखाना 14 सालों तक बीएफआर में था जिस वजह से कारखाने को कहीं से भी आर्थिक मदद नहीं मिल रही थी। श्रमिकों को कभी 2 महीने तो कभी 3 महीने बाद वेतन मिल रहा था ऐसे में प्रिय रंजन दास मुंशी के साथ बातचीत कर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मिलने का समय लिया गया उस समय बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य थे और केंद्रीय इस्पात मंत्री रामविलास पासवान थे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ईसको कारखाने के महत्व के बारे में समझाया गया की किस तरह से 1972 में इंदिरा गांधी ने बर्नपुर के ईसको कारखाने का राष्ट्रीयकरण किया था। डॉ मनमोहन सिंह को यह बताया गया कि इस कारखाने पर हजारों श्रमिक और उनके परिवार निर्भर करते हैं ऐसे में इस कारखाने को बचाना बहुत जरूरी है। डॉ मनमोहन सिंह ने उनकी बातों को सुना और गंभीरता से लिया और आखिरकार 18000 करोड़ की लागत से कारखाने का विकास किया गया उससे पहले इस कारखाने का सेल के साथ विलय किया गया। आखिरकार डॉक्टर मनमोहन सिंह तत्कालीन इस्पात मंत्री रामविलास पासवान तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की मौजूदगी में 24 अक्टूबर 2006 को कारखाने का उद्घाटन किया गया उन्होंने कहा कि तब से लेकर आज तक यह कारखाना दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है और इसके लिए जो इंसान जिम्मेदार है वह हैं डॉक्टर मनमोहन सिंह उनकी वजह से यह कारखाना फिर से बच पाया और आज इस कारखाने में 2.5 मिलियन टन का उत्पादन होता है जिसे बढ़ाकर 4.5 मिलियन टन किया जाएगा उन्होंने कहा कि ईसको कारखाने में काम करने वाले लोगों के लिए डॉक्टर मनमोहन सिंह का जाना एक निजी क्षति की तरह है
पब्लिक न्यूज़ अमित कुमार गुप्ताआसनसोल :–बर्नपूर सेल आईएसपी एवं डीएसपी ( SAIL ISP ) के निदेशक प्रभारी बीपी सिंह ( BP Singh ) का चयन नेशनल एल्यूमीनियम कंपनी लिमिटेड ( NALCO ) के सीएमडी के पद पर पीएसईबी ने किया। पीईएसबी ( PESB ) द्वारा आज नाल्को सीएमडी के लिए इंटरव्यू लिया गया। इसमें कुल छह आवेदक थे। पीएसईबी ने बृजेन्द्र प्रताप सिंह के नाम की अनुशंसा नाल्को सीएमडी के लिए की है। इसके साथ ही यह चर्चा शुरू हो गई है,।
सेल आईएसपी और डीएसपी का अगला डायरेक्टर इंचार्ज कौन होगा। क्योंकि दोनों ही प्लांट में भारी भरकम निवेश होनेवाला है। नाल्को सीएमडी की रेस में बीपी सिंह के अलावा एनआईसी इंडिया के डायरेक्टर सुरेश चंद्र सुमन, रेलटेल के डायरेक्टर फाइनेंस वीआरएम राव, नाल्को के निदेशक जगदीश अरोड़ा, सेल के ईडी अशोक कुमार पांडा और आयकर विभाग राजकोट के प्रधान आयुक्त आलोक सिंह थे। लेकिन साक्षात्कार के बाद पीईएसबी ने बीपी सिंह को चुना।
अब विजिलेंस क्लीयरेंस और अन्य आवश्यक कार्यावाही के बाद वह सीएमडी का दायित्व लेंगे। इसके लिए बीपी सिंह को इंटक नेता हरजीत सिंह, एसबीएफसीआई अध्यक्ष वीके ढल्ल, महासचिव जगदीश बागड़ी, पवन गुटगुटिया, उद्योगपति विजय शर्मा आसनसोल चैंबर ऑफ कॉमर्स के नरेश अग्रवाल शंभू नाथ झा आदि ने बधाई दी।
पब्लिक न्यूज़ अमित कुमार गुप्ता आसनसोल:– आज (14-09-2024) इंजीनियर दिवस की पूर्व संध्या पर, बर्नपुर डिप्लोमा इंजीनियर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने बर्नपुर स्थित भारती भवन दीपानी ऑडिटोरियम में बर्नपुर कि सेल इस्को इस्पात सयंत्र के “जूनियर मैनेजर (कनिष्ठ प्रबंधक)” के पद पर पदोन्नत हुए एसोसिएशन के सभी डिप्लोमा इंजीनियर सदस्यों के लिए “सम्मान समारोह” का आयोजन किया। इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में श्री यू.पी. सिंह-कार्यकारी निदेशक (मानव संसाधन), विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री गौतम बंद्योपाध्याय- महाप्रबंधक-मानव संसाधन (वर्क्स) तथा अतिथि के रूप में श्री सब्यसाची दत्ता- महाप्रबंधक-मानव संसाधन (सीएलसी, एलएंडए) तथा एसोसिएशन के पूर्व-महासचिव सुब्रतो बंद्योपाध्याय उपस्थित थे।
समारोह में भाग लेने वाले कनिष्ठ प्रबंधकों को पौधा, मेमेंटो और उत्तरीय देकर सम्मानित किया गया। बर्नपुर डिप्लोमा इंजीनियर्स वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव श्री लब कुमार मन्ना ने बताया कि हमें बहुत गर्व और उत्साह है कि हमारे एसोसिएशन में डिप्लोमा इंजीनियर्स “जूनियर मैनेजर” के रूप में शामिल हुए हैं। हमें उम्मीद है कि भविष्य में हमारे और अधिक योग्य सदस्यों को उक्त पद पर पदोन्नत किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि बर्नपुर डिप्लोमा इंजीनियर्स वेलफेयर एसोसिएशन सेल-इस्को इस्पात सयंत्र में कार्यरत सभी डिप्लोमा इंजीनियरों के लिए पदनाम, उच्च शिक्षा और अन्य मुद्दों को शामिल करके एसोसिएशन को मजबूत करने के उद्देश्य से आगे बढ़ेगा।
एसोसिएशन की ओर से अध्यक्ष श्री सोमनाथ माजी ने कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अतिथियों और एसोसिएशन के सदस्यों को धन्यवाद दिया।
पब्लिक न्यूज़ ब्यूरो पश्चिम बंगाल:– भारत में मई दिवस,मई दिवस को 1 मई, 1886 को शिकागो, अमेरिका में हुए 8 घंटे के काम के लिए आंदोलन के स्मरणोत्सव के रूप में जाना जाता है। लेकिन इस मुद्दे को अनुचित तरीके से संभालने के कारण, यह पुलिस के साथ संघर्ष में समाप्त हो गया और इसे पूर्ण विफलता के रूप में जाना जाने लगा। श्रम संघर्ष का इतिहास। घटना से पहले भी, सरकार ने उसी मांग को स्वीकार कर लिया था और अमेरिकी कांग्रेस ने 1868 में उसी पर एक प्रस्ताव पारित किया था।
1 मई की हड़ताल बहुत शांतिपूर्ण थी और श्रम इतिहास में उल्लेख करने के लिए कुछ खास नहीं था। शिकागो में अप्रिय हिंसक घटनाएं 1 मई को नहीं, बल्कि 3 और 4 तारीख को हुईं, जिनका 1 मई के विरोध से कोई संबंध नहीं था। यह हिंसा प्रतिद्वंद्वी ट्रेड यूनियनों के बीच अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा के परिणामस्वरूप हुई। 3 मई को, एक कमजोर अराजकतावादी कम्युनिस्ट समूह के नेतृत्व में मैककॉर्मिक हार्वेस्टिंग फैक्ट्री के मजदूरों ने हड़ताल की और पुलिस से भिड़ गए जिसमें 4 मजदूरों की मौत हो गई। अगले दिन उन्होंने हेमार्केट स्क्वायर में एक विरोध सभा आयोजित की जिसे भारी बारिश के कारण तितर-बितर करना पड़ा। जो लोग वहां से नहीं निकले, उन्होंने पुलिस पर बम फेंका और पुलिस ने जवाबी फायरिंग की। मारपीट में 4 मजदूरों और 7 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। नतीजतन, कई नेता जेल में थे और चार नेताओं को फांसी पर लटका दिया गया था। इस प्रकार अमेरिका में तेजी से बढ़ रहे ट्रेड यूनियन आंदोलन में अचानक गिरावट आई। संघर्ष कुछ हासिल नहीं कर सका।
अमेरिकी श्रमिक आंदोलन ने शिकागो की हिंसक घटना को खारिज कर दिया। अमेरिकी ट्रेड यूनियनों ने हर सितंबर में पहले सोमवार को मजदूर दिवस के रूप में मनाया। मई दिवस को बाद में अमेरिका में “बाल दिवस” के रूप में मनाया गया! शिकागो आज 13 सितंबर, 1893 को स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण के लिए अधिक जाना जाता है। यह मई दिवस का पहला चरण था। हेमार्केट स्क्वायर की घटना की तुलना भारत में हिंसक चौरी चौरा घटना से की जा सकती है, जिसने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को मजबूत किया जब गांधीजी ने हिंसा के खिलाफ सख्त गैर-समझौता अनुशासनात्मक रुख अपनाया। महान कम्युनिस्ट विश्वासघात दूसरा चरण हमें अपने अनुयायियों के साथ एक महान कम्युनिस्ट विश्वासघात की याद दिलाता है। 1889 में, पेरिस में मिले दूसरे कम्युनिस्ट इंटरनेशनल ने 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। लेकिन कम्युनिस्ट इंटरनेशनल में भी मई दिवस एक विवादास्पद मुद्दा बन गया और आखिरकार 1904 में उन्होंने मई दिवस को मजदूर दिवस के रूप में मनाने का विचार छोड़ दिया। यह अन्य राजनीतिक मांगों के लिए मनाया जाता था, हालांकि रूस में लेनिन ने लोगों से मई दिवस मनाने का आग्रह किया।
लेकिन जब हिटलर एक निरंकुश के रूप में उभरा, तो दुनिया भर के कम्युनिस्टों ने 1929 से 1940 तक मई दिवस को “फासीवाद विरोधी दिवस” के रूप में मनाना शुरू कर दिया। बाद में, रूसी कम्युनिस्ट नेता स्टालिन, जब उन्होंने हिटलर के साथ गठबंधन किया, जो इतिहास का सबसे बड़ा तानाशाह था और कौन था द्वितीय विश्व युद्ध के लिए जिम्मेदार, इसे “फासीवाद विरोधी दिवस” के रूप में मनाना बंद करने के अलावा और कोई नहीं था। इसलिए उन्होंने दुनिया भर के कम्युनिस्टों के साथ विश्वासघात किया और उनसे इसे “श्रम दिवस” के रूप में मनाने के लिए कहा। इस प्रकार मई दिवस को मजदूर दिवस के रूप में मनाने का वर्तमान तरीका अस्तित्व में आया। यह न केवल कम्युनिस्टों द्वारा बल्कि गैर-कम्युनिस्टों द्वारा भी मनाया जा रहा है,
जैसे इंटक, कांग्रेस ट्रेड यूनियन, वास्तविक कहानी को नहीं जानते और कम्युनिस्ट प्रचार में पड़ गए। कई भारतीय ट्रेड यूनियनों के विपरीत, दुनिया के अधिकांश ट्रेड यूनियन इसे कम्युनिस्ट विश्वासघात का मामला मानते हैं और मई दिवस को मजदूर दिवस के रूप में नहीं मनाते हैं। इसलिए बीएमएस ने मई दिवस को मजदूर दिवस के रूप में नहीं मनाने का फैसला किया है। इसके बजाय यह विश्वकर्मा जयंती दिवस को राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाता है। भारत के कई राज्यों ने भी आधिकारिक तौर पर विश्वकर्मा जयंती को मजदूर दिवस के रूप में घोषित किया है। कार्य एक यज्ञ है विश्वकर्मा श्रम की गरिमा का प्रतीक है जिसे प्राचीन भारत द्वारा अधिकतम सम्मान दिया गया था। भारत के महान व्यक्तित्वों का इतिहास विश्वकर्मा के बलिदान से शुरू होता है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने ब्रह्मांड का निर्माण किया था। उन्होंने स्वयं ब्रह्मांड बनाने के लिए आयोजित एक यज्ञ में हवियों को चुना (ऋग्वेद १०.८१.६)। इस प्रकार उन्हें एक देव की स्थिति में उठाया गया था। ऋग्वेद (10.121) कहता है कि उसने पृथ्वी, जल, जीवित सृष्टि आदि की रचना की। वह देवताओं के महान वास्तुकार के रूप में जाने जाते थे। यह भी माना जाता है कि वह केवल एक व्यक्ति नहीं है। वे सम्माननीय व्यक्तित्व जिन्होंने अपने कुशल कार्य से समाज की सेवा की, वे सभी ‘विश्वकर्मा’ कहलाते थे। हमारे प्राचीन साहित्य में वर्णित अनेक वस्तुओं के आविष्कार का श्रेय उन्हीं को जाता है। विष्णु का सुदर्शन चक्र, शिव का त्रिशूल, कुमार का भाला, इंद्र का रथ, पांडवों का हस्तिनापुरी, श्रीकृष्ण का द्वारका, इंद्रलोक, वृंदावन, लंका, पुष्पक विमान आदि सभी विश्वकर्मा की प्रतिभा की रचनाएं थीं। वास्तु वास्तुकला और सभी कलाएँ उनके आविष्कार थे।
वे दुनिया के पहले मजदूर थे और श्रम के आचार्य थे। श्रम के विभिन्न जाति विभाजनों से संबंधित बहुत से लोग मानते हैं कि वे विश्वकर्मा के उत्तराधिकारी हैं। वह सभी मजदूरों के लिए एक आदर्श हैं। उसका पुत्र वृत्र लालची और राक्षसी चरित्र का था और हिरण्यकश्यप का सेनापति था। विश्वकर्मा ने स्वयं अपने पुत्र को मारने के लिए विशेष अस्त्र बनाया था। विश्वकर्मा और दधीचि दोनों के महान बलिदान के कारण वृत्रा को मारा गया था। एक और पुत्र नल श्री राम का भक्त बन गया और उसने लंका जाने के लिए सेतु पुल का निर्माण किया। विश्वकर्मा वर्तमान विचार प्रक्रिया में प्रतिमान बदलाव का प्रतीक है। कर्म को यज्ञ माना गया है। भारतीय औद्योगिक संबंध परंपरागत रूप से परिवार जैसे संबंधों पर आधारित हैं। बीएमएस ने परिवार को औद्योगिक संबंधों के लिए एक मॉडल के रूप में स्वीकार किया है और ‘औद्योगिक परिवार’ की महान अवधारणा को सामने रखा है। यह पश्चिम के मालिक-नौकर संबंध या कम्युनिस्टों की वर्ग शत्रु अवधारणा के विपरीत है। हमने विश्वकर्मा जैसी महान हस्तियों के जीवन से “त्याग-तपस्य-बलिदान”, “काम ही पूजा है” “श्रम का राष्ट्रीयकरण” आदि के नारे लगाए हैं। एकरूपता लाने के लिए विश्वकर्मा जयंती हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है, क्योंकि कई जगहों पर इसे भाद्रपद शुक्ल पंचमी और माघ शुक्ल त्रयोदशी दोनों को मनाया जाता है। मई दिवस, पश्चिम से आयातित, श्रम को सकारात्मक रूप से प्रेरित करने में विफल रहता है जहां विश्वकर्मा जयंती हो सकती है।
আলোক চক্রবর্তী বার্ণপর:-হীরাপুর থানার ছোট দিঘারীর বাসিন্দা বৈদ্যনাথ দত্ত শারীরিক অসুস্থতার কারণে বিগত দুই দিন ধরে দূর্গাপুরের বেসরকারি হাসপাতালে ভর্তি আছেন তার সেবা করতে বাড়ীর সবাই হাসপাতালে ছিলেন মঙ্গলবার সকালে বাড়ী এসে দেখেন তাদের ঘরে তালা ভেঙে, আলমারি ভেঙে সব জিনিসপত্র চারিদিকে ছড়ানো ছিটানো অবস্থায় পড়ে আছে সর্বস্য চুরি হয়ে গেছে। বাড়ীতে ১৪ / ১৫ ভরি সোনার গয়না এবং ৩৫ লক্ষ টাকা নিয়ে চলে গেছে বলে জানান জামাই গণেশ গড়াই। পুলিশকে খবর দিলে পুলিশ এসে সব তথ্য সংগ্রহ করে নিয়েছে।
আলোক চক্রবর্তী বার্ণপুর:-মঙ্গলবার ইস্কো কতৃর্পক্ষ নিউটাউনে কোয়ার্টার খালি করতে গেলে এলাকার বাসিন্দারা তাদের ঘিরে ধরে বিক্ষোভ দেখান এবং এলাকায় চরম উত্তেজনা ছড়ায়। এলাকাবাসীদের বক্তব্য খাটাল খালি না করলে তারা কোয়ার্টার খালি করবে না ইতিপূর্বেই ইস্কো কতৃর্পক্ষকে খাটাল খালি করার কথা বলা হয়েছিল কিন্তু কতৃর্পক্ষ খাটাল খালি না করে কোয়ার্টার খালি করার জন্য চাপ দিচ্ছে। যতদিন খাটাল খালি না করা হচ্ছে ততদিন তারা কোয়ার্টার খালি করবে না। অন্যদিকে ইস্কো কতৃর্পক্ষর বক্তব্য ইস্কো কারখানার আধুনিকিকরণের জন্য প্রচুর কর্মী আসবে তাদের থাকার জন্য কোয়ার্টার দরকার নিউটাউনে কোয়ার্টার গুলো দখল করে রেখে দিয়েছে সেসব খালি করার নির্দেশ দেওয়া হয়েছে কিন্তু এলাকাবাসীরা বাধা দিচ্ছে তাদের দাবি খাটাল উচ্ছেদ করতে হবে। তারা কতৃপক্ষ এবং স্থানীয় পুলিশ প্রশাসনের সাথে কথা বলে খাটাল উচ্ছেদের ব্যাপারে পদক্ষেপ গ্রহণ করা করা হবে।
আলোক চক্রবর্তী রাণীগঞ্জ:-কয়েকদিন আগে তৃণমূল কংগ্রেসের পরিচালিত পশ্চিম বর্ধমান জেলার জেলা পরিষদের সহসভাধিপতী তথা শ্রমিক সংঘটনের নেতা বিষ্ঞুদেব নুনিয়া কাজোড়া এরিয়ার কোলিয়ারীর এক কর্মীকে মারধোর ও প্রাণনাশের হুমকি দেবার কারণে তার বিরুদ্ধে অভিযোগ জমা হয়েছিল থানায়। তারপর আবারও অমৃতনগর কোলিয়ারীতে নিরাপত্তা কর্মী, নয়জন খনি কর্মীকে মারধোর ও প্রাণনাশের হুমকি দেবার অভিযোগ এলো তৃণমূল সংঘটনের এক নেতা তিনি তৃণমূল কংগ্রেসের পরিচালিত রাণীগঞ্জ পঞ্চায়েত সমিতির সহসভাপতির বিরুদ্ধে। তাঁর বিরুদ্ধে অভিযোগ অমৃতনগর কোলিয়ারীতে আধিকারিকদের উপর হামলা এবং প্রাননাশের হুমকি দিয়েছেন। অমৃতনগর কোলিয়ারীর এক কর্মী মহঃ সাবির চাকরিতে যোগ দেবার সময় জন্ম শংসাপত্র নিয়ে সন্দেহ হওয়াতে এপেক্স মেডিক্যাল বোর্ডের মাধ্যমে জন্মের তারিখ নির্ধারণ করার জন্য নির্দেশ দেওয়া হয়। মহঃ সাবিরের বাবার সার্ভিস রেকর্ডে তার জন্ম তারিখ ১৯৬৫ লেখা থাকলেও সাবিরের বাবা ২০০৩ সালে পোষ্য হিসাবে কাজে যোগ দেবার সময় নথি প্রমাণ হিসাবে তার জন্ম তারিখ দেওয়া হয় ১৯৭৫। তদন্তে নেমে দেখা যায় তিনি রাণীগঞ্জের উচ্চ বিদ্যালয়ে তার জন্ম তারিখ ১৯৭৯ সাল। সন্দেহ হওয়াতে খনি কতৃর্পক্ষ তাকে এপেক্স মেডিক্যাল বোর্ডের মাধ্যমে শারীরিক পরীক্ষার নির্দেশ দেওয়া হয় সাবির এই নির্দেশের বিরুদ্ধে হাইকোর্ট গেলে তার আবেদন নামঞ্জুর করা হয়। সাবির ডিভিশন বেঞ্চে গেলেও সেখানে সিঙ্গেল বেঞ্চের রায় বহাল রাখে। খনি কতৃর্পক্ষ মেডিক্যাল করাবার জন্য পাঁচবার নোটিশ পাঠালেও সাবির সেই নোটিশ গ্রহণ করে নি। গত বুধবার সকালে সাবির কাজে যোগ দিতে গেলে তাকে কাজে যোগ দিতে বারন করে কতৃপক্ষ এতে ক্ষুব্ধ হয়ে শখানেক তৃণমূল কংগ্রেসের কর্মীদের নিয়ে হামলা চালায়। হামলায় অমৃতনগর কোলিয়ারীর এজেন্ট উমেশ পন্ডিত সহ পাঁচজন খনি কর্মী আহত হয়। কোলিয়ারীর এজেন্ট থানায় পার্সোনাল ম্যানেজার, সুরক্ষা আধিকারিক এবং পাঁচজন খনি কর্মী এবং তাকে মারধোর ও প্রাণনাশের হুমকির অভিযোগ করেন সাবিরের বিরুদ্ধে। অন্যদিকে সাবির খনি কতৃর্পক্ষকে জানিয়েছেন তার বিরুদ্ধে কোন পদক্ষেপ নেওয়া যাবে না এবং তাকে কাজে যোগ দিতে হবে।
আলোক চক্রবর্তী/পাবলিক নিউজঃ ডেস্ক:-কয়েক দিন আগে দূর্গাপুরের সিটি সেন্টারে সিপিএমের বিমল দাশগুপ্ত ভবনে বোমাবাজি ও হামলা চালায় তৃণমূল কংগ্রেসের কর্মীরা বলে অভিযোগ উঠে। ঘটনার তদন্ত শেষ হবার আগেই বিদ্যাসাগর এভিনিউতে সিপিএমের হিন্দুস্তান স্টীল এমপ্লয়িজ ইউনিয়নের কার্যালয়ে দুটো লাইট ভেঙে বিদুৎ বিচ্ছিন্ন করে শহীদ বেদীর পতাকা লাগানোর পাইপ চুরি করে কার্যালয়ের চারিদিকে দলীয় পতাকা ছড়ানো ছিটানো অবস্থায় পড়ে রয়েছে বলে অভিযোগ সিটু নেতার। তিনি আরো অভিযোগ করেন ঘটনা তৃণমূল আশ্রিত দুস্কৃতিরা করেছে। অন্যদিকে তৃণমূল কংগ্রেসের প্রাক্তন কাউন্সিলর রাজীব ঘোষ অভিযোগ অস্বীকার করেছেন। সিটুর পক্ষ থেকে দূর্গাপুর থানায় অভিযোগ জানানো হবে বলে সিটুর পক্ষ থেকে জানানো হয়েছে।
पब्लिक न्यूज ब्यूरो दुर्गापुर:–दुर्गापुर के विद्यासागर एवेन्यू पर हिंदुस्तान स्टील कर्मचारी संघ कार्यालय में उपद्रवियों द्वारा आतंक फैलाया गया। सोमवार की सुबह कर्मचारी कार्यालय आये तो देखा कि कार्यालय की दो स्ट्रीट लाइटें कटी हुई हैं. शहीद वेदी पर जो लोहे की राड होती है उसे उपद्रवी लेकर भाग गए थे। कार्यालय में इधर-उधर पार्टी के झंडे फैले हुए हैं। सीटू नेता ने आरोप लगाया कि तृणमूल समर्थित उपद्रवियों ने इस तांडव को अंजाम दिया है. दूसरी ओर, तृणमूल के पूर्व पार्षद राजीव घोष ने आरोपों से इनकार किया है. सीटू की तरफ से कहा गया कि इसकी शिकायत दुर्गापुर थाने में की जायेगी. । आपको बता दें कि कुछ दिन पहले शहर के मध्य में सीपीएम के पार्टी कार्यालय “बिमल दासगुप्ता भवन” पर बमबारी और हमला किया गया था। उस घटना के बाद दुर्गापुर में पार्टी कार्यालय पर फिर से हमला किया गया जिससे प्रशासन की भुमिका पर सवाल खड़े हो गए
अमित कुमार गुप्ता आसनसोल बर्नपुर:–DEFI और बर्नपुर डिप्लोमा इंजीनियर्स वेलफेयर एसोसिएशन के लंबे संघर्ष के परिणामस्वरूप, SAIL इसको प्रबंधन ने आखिरकार डिप्लोमा इंजीनियरों कि लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वीकार कर लिया और आज सभी कर्मचारियों का पदनाम बदल दिया। इस IISCO में जूनियर इंजीनियर पदनाम लागू हुआ, लेकिन डिप्लोमा इंजीनियर अभी भी नाखुश हैं। इस संदर्भ में बर्नपुर डिप्लोमा इंजीनियर्स वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव लब कुमार मन्ना ने हमारे प्रतिनिधि को बताया कि1 मई 2017 को इस्पात मंत्रालय के अवर सचिव द्वारा सेल मैनेजमेंट को एक सलाह दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि अन्य CPSEs की तरह डिप्लोमा इंजीनियरों का पदनाम जूनियर इंजीनियर होना चाहिए। प्राथमिक रूप से डिप्लोमा इंजीनियरों के पदनाम को बदलने के लिए 17 दिसंबर 2018 मैं एक कमिटी का गठन सेल कॉर्पोरेट कार्यालय ने किया था, बाद में कमिटी ने सेल में कार्यरत सभी कर्मचारियों के पदनाम को बदलने में रुचि दिखाए थी। फिर दिनांक 12-06-2024 को सेल कॉर्पोरेट कार्यालय ने एक पदनाम परिवर्तन परिपत्र प्रकाशित किया, जिसमें एस-9 ग्रेड से “जूनियर इंजीनियर” पदनाम देने का उल्लेख है, जो सेल में डिप्लोमा इंजीनियर के भर्ती होने के लगभग 22 वर्षों के बाद दिया जाएगा। हमारी मूल मांग एंट्री ग्रेड से डिप्लोमा इंजीनियरों को “जूनियर इंजीनियर” की पदनाम देने की थी और हम उस मांग से रत्ती भर भी पीछे नहीं हट रहे हैं, क्योंकि यह “जूनियर इंजीनियर” की पदनाम अन्य सरकारी और सरकारी संस्थानों में डिप्लोमा इंजीनियरों को दी गई है। हम भविष्य में भी इस दावे पर लड़ाई जारी रखेंगे।