


पब्लिक न्यूज़ आसनसोल :– देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन पर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। लेकिन इस्पात नगरी बर्नपुर के लिए यह नुकसान एक निजी नुकसान की तरह महसूस हो रहा है इसकी वजह यह है कि बर्नपुर में ईसको कारखाने को बचाने में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही उन दोनों को याद करते हुए श्रमिक नेता हरजीत सिंह ने कहा कि उस समय ईसको कारखाना 14 सालों तक बीएफआर में था जिस वजह से कारखाने को कहीं से भी आर्थिक मदद नहीं मिल रही थी। श्रमिकों को कभी 2 महीने तो कभी 3 महीने बाद वेतन मिल रहा था ऐसे में प्रिय रंजन दास मुंशी के साथ बातचीत कर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मिलने का समय लिया गया उस समय बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य थे और केंद्रीय इस्पात मंत्री रामविलास पासवान थे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ईसको कारखाने के महत्व के बारे में समझाया गया की किस तरह से 1972 में इंदिरा गांधी ने बर्नपुर के ईसको कारखाने का राष्ट्रीयकरण किया था। डॉ मनमोहन सिंह को यह बताया गया कि इस कारखाने पर हजारों श्रमिक और उनके परिवार निर्भर करते हैं ऐसे में इस कारखाने को बचाना बहुत जरूरी है। डॉ मनमोहन सिंह ने उनकी बातों को सुना और गंभीरता से लिया और आखिरकार 18000 करोड़ की लागत से कारखाने का विकास किया गया उससे पहले इस कारखाने का सेल के साथ विलय किया गया। आखिरकार डॉक्टर मनमोहन सिंह तत्कालीन इस्पात मंत्री रामविलास पासवान तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की मौजूदगी में 24 अक्टूबर 2006 को कारखाने का उद्घाटन किया गया उन्होंने कहा कि तब से लेकर आज तक यह कारखाना दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है और इसके लिए जो इंसान जिम्मेदार है वह हैं डॉक्टर मनमोहन सिंह उनकी वजह से यह कारखाना फिर से बच पाया और आज इस कारखाने में 2.5 मिलियन टन का उत्पादन होता है जिसे बढ़ाकर 4.5 मिलियन टन किया जाएगा उन्होंने कहा कि ईसको कारखाने में काम करने वाले लोगों के लिए डॉक्टर मनमोहन सिंह का जाना एक निजी क्षति की तरह है










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